biohacking : अपने शरीर का DIY अपग्रेड

biohacking? वो क्या बला है? अरे भाई, ये बस अपने शरीर के साथ खिलवाड़ करने का एक फैंसी नाम है। समझो कि तुम अपनी लाइफ को अपग्रेड करना चाहते हो – ज्यादा ताकत, ज्यादा दिमाग, कम थकान। तो क्या करोगे? खाने-पीने में बदलाव, नींद के पैटर्न में सुधार, व्यायाम का नया तरीका – ये सब करके देखोगे कि तुम्हारे शरीर पर क्या असर होता है। बस यही तो है biohacking – अपने शरीर के साथ प्रयोग करना ताकि जिंदगी में थोड़ा और मजा आ जाए। कुछ लोग इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं, जैसे कि वो कोई वैज्ञानिक हों। पर असल में, ये बस अपने आप को बेहतर बनाने का एक मजेदार तरीका है।

बस अपने शरीर और दिमाग को सुपरचार्ज करने की कोशिश।

अरे यार, ये biohacking क्या है? बस अपने शरीर और दिमाग को सुपरचार्ज करने की कोशिश। कोई अपनी याददाश्त तेज करना चाहता है, तो कोई मोटापा कम करना। कुछ लोग तो ऐसे हैं जो खुद को सुपरमैन बनाने की कोशिश में लगे हैं!

अब देखो, कुछ चीजें तो घर पर भी आराम से कर सकते हो – जैसे कि थोड़ा ध्यान लगाना या फिर खाने-पीने में बदलाव। ये तो ठीक है। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कुछ ज्यादा ही जोखिम लेते हैं – जैसे कि अजीब-अजीब दवाएं या सप्लीमेंट्स लेना। ये थोड़ा खतरनाक हो सकता है।

याद रखो, हर किसी का शरीर अलग होता है। जो एक के लिए फायदेमंद है, वो दूसरे के लिए नुकसानदेह हो सकता है। तो अगर कुछ नया आजमाना है, तो पहले सोच-समझकर करना, ठीक है? अपनी सेहत से खिलवाड़ मत करना!

लोग अपने शरीर के साथ कैसे-कैसे खेल करते हैं।

लोग अपने शरीर के साथ कैसे-कैसे खेल करते हैं। कभी खून की जांच करके देखते हैं कि क्या गड़बड़ है, तो कभी नई-नई तकनीक से अपने आप को अपग्रेड करने की कोशिश करते हैं।
अब सवाल ये है – क्या ये सब कानूनी है? और क्या इससे सच में उम्र बढ़ सकती है? बस यही सब इस लेख में छाना गया है।
पर याद रखो, ये सब एक्सपेरिमेंट है। कोई गारंटी नहीं कि क्या काम करेगा और क्या नहीं। और हां, कुछ चीजें तो खतरनाक भी हो सकती हैं। तो अगर कुछ नया करने का मन हो, तो पहले अच्छे से पता कर लो। अपने शरीर के साथ कोई ऐसा-वैसा प्रयोग मत करना जो बाद में पछताना पड़े!

ये biohacking क्या है?

ये biohacking क्या है? बस अपने शरीर को टूल्स की तरह इस्तेमाल करने का फैंसी नाम है। समझो ऐसे – तुम अपनी बॉडी को अपग्रेड करना चाहते हो, जैसे कि गाड़ी का इंजन ट्यून करते हैं।
कुछ लोग तो पुराने जमाने से ऐसा कर रहे हैं। जैसे कि वो लंबे समय तक खाना नहीं खाते – कहते हैं इससे सेहत अच्छी होती है। अब ये सही है या गलत, वो तो भगवान जाने!
और अब तो ये स्मार्टवॉच और फिटबिट वगैरह आ गई हैं। इनसे पता चलता है कि तुम्हारी बॉडी क्या कर रही है – कितने कदम चले, कितनी नींद आई, दिल कैसे धड़क रहा है। लोग इस जानकारी का इस्तेमाल करके अपनी सेहत सुधारते हैं या फिर खेल में बेहतर करने की कोशिश करते हैं।
बस समझ लो, ये अपने शरीर के साथ खेलने का एक तरीका है। कुछ लोगों को फायदा होता है, कुछ को नहीं। पर मजा तो सबको आता है!

चलो, एक और कोशिश करते हैं। सोचो कि तुम्हारा शरीर एक पुरानी कार है। अब तुम उसे थोड़ा पिंप करना चाहते हो, ताकि वो तेज चले, कम पेट्रोल खाए, और दिखे भी मस्त। यही तो है biohacking!
कुछ लोग इसके लिए पुराने नुस्खे आजमाते हैं – जैसे कि दिन में एक ही बार खाना। और कुछ लोग नए गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं – वो घड़ियां जो बताती हैं कि तुम्हारा दिल कैसे धड़क रहा है या तुम कितना चले।

biohacking

Current examples

ये biohacking की दुनिया बड़ी मज़ेदार है! कुछ चीजें तो ऐसी हैं जो तुम रोज़ करते हो, बस तुम्हें पता नहीं कि ये भी biohacking है। जैसे कि सुबह उठकर एक गिलास पानी पीना या फिर रात को फोन बंद करके सोना। ये सब छोटी-छोटी चीजें भी तुम्हारी बॉडी को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
लेकिन फिर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ज़रा हटके काम करते हैं। जैसे कि अपनी आंखों में चिप लगवाना ताकि अंधेरे में भी देख सकें। या फिर अपने दिमाग को कंप्यूटर से जोड़ना। ये सब सुनकर लगता है कि भाई, ये तो किसी साइंस फिक्शन मूवी की बात हो रही है!
बस समझ लो, biohacking में कुछ चीजें तो बिल्कुल नॉर्मल हैं, और कुछ ऐसी हैं जो अभी भविष्य की बात लगती हैं। पर कौन जाने, शायद कल ये भी आम बात हो जाएं!

Table

नूट्रोपिक्स का प्रकारविवरणउदाहरणसावधानियाँ
नॉनप्रिस्क्रिप्शन नूट्रोपिक्सटैबलेट, सप्लीमेंट, पेय और खाद्य पदार्थ जो मस्तिष्क के प्रदर्शन को बढ़ा सकते हैंक्रिएटिन, कैफीनसामान्यतः सुरक्षित माने जाते हैं, लेकिन अति उपयोग से बचें
प्रिस्क्रिप्शन नूट्रोपिक्सउत्तेजक प्रभाव वाली दवाएँ जो डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जाती हैंमिथाइलफेनिडेट (रिटालिन), एडरॉल, मेमेंटाइन (एक्सुरा)केवल डॉक्टर के निर्देशानुसार लें। दुरुपयोग खतरनाक हो सकता है।

प्रिस्क्रिप्शन उत्तेजकों के गैर-चिकित्सकीय उपयोग के जोखिम:

  • चिंता
  • अन्य दवाओं का उपयोग
  • पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
  • जोखिमपूर्ण यौन व्यवहार
  • खराब शैक्षणिक प्रदर्शन

लोग अपने शरीर को एक तरह का स्मार्टफोन बनाने की कोशिश में लगे हैं।

पहले तो वो घड़ियां आईं जो बताती हैं कि तुम कितना चले, कितना सोए, दिल कैसे धड़क रहा है। लोग इन्हें पहनकर अपनी सेहत का हिसाब रखते हैं। कोई अपना वजन घटा रहा है, तो कोई माहवारी का पता लगा रहा है।
अब तो और आगे बढ़ गए हैं। सोचो, अब लोग अपने शरीर में चिप लगवाने की बात कर रहे हैं! ऐसा लग रहा है जैसे कोई साइंस फिक्शन फिल्म चल रही हो।
ये चिप क्या-क्या कर सकती हैं? अरे, तुम्हारा पासवर्ड याद रखेंगी, दरवाजे खोलेंगी, और पता नहीं क्या-क्या! कुछ लोग तो अपनी त्वचा पर इलेक्ट्रॉनिक टैटू भी बनवा रहे हैं।
बस, समझ लो कि लोग अपने शरीर को एक तरह का स्मार्टफोन बनाने की कोशिश में लगे हैं। अब ये अच्छा है या बुरा, ये तो वक्त ही बताएगा!

Types of biohacking

  1. DIY बायोलॉजी वाले: ये वो शातिर लोग हैं जो अपने घर की रसोई को लैब में बदल देते हैं। सोचो, जैसे तुम अपने पुराने मोबाइल को खोलकर ठीक करते हो, वैसे ही ये अपने DNA के साथ खेलते हैं। बस, थोड़ा ज्यादा खतरनाक!
  2. न्यूट्रीजेनोमिक्स के दीवाने: ये वो चतुर लोग हैं जो सोचते हैं कि उनका खाना उनके जीन्स से बात करता है। इनका मानना है कि अगर सही खाना खाओ, तो अपने DNA को भी बदल सकते हो। पालक खाओ, सुपरमैन बनो!
  3. ग्राइंडर्स: अब ये तो एकदम हटके हैं। ये वो लोग हैं जो सोचते हैं कि अगर भगवान ने उन्हें दो आँखें दी हैं, तो तीसरी क्यों नहीं लगा लें? अपने शरीर में चिप लगाना, मैग्नेट फिट करना – इनके लिए ये सब मामूली बात है।

बस समझ लो, ये सब लोग अपने शरीर को अपग्रेड करने के चक्कर में लगे हैं। कोई साइंस से, कोई खाने से, और कोई सीधे चाकू-छुरी से! मज़ेदार लोग हैं,
पर थोड़ा संभलकर रहना इनके आस-पास!

DIY biology

चलो, इस DIY जीवविज्ञान की बात को ऐसे समझो:

ये वो मजेदार चीज है जहां बड़े-बड़े वैज्ञानिक अपने ज्ञान को आम लोगों के साथ बांटते हैं। जैसे कि तुम्हारा पड़ोसी जो कभी लैब में नहीं गया, वो भी अब अपने घर में छोटे-मोटे प्रयोग कर सकता है।

कुछ लोग तो इसे एक तरह की क्रांति मानते हैं। उनका कहना है कि अब विज्ञान सिर्फ बड़ी-बड़ी लैब्स तक सीमित नहीं रहा। अब हर कोई अपने किचन में वैज्ञानिक बन सकता है!

इसमें क्या-क्या होता है? अरे, बहुत कुछ! कोई बैक्टीरिया के साथ खेल रहा है, तो कोई अपने खाने से अपने जीन्स को बदलने की कोशिश कर रहा है। और हां, कुछ लोग तो अपने शरीर में नए अंग बनाने की सोच रहे हैं!

बस, समझ लो कि ये लोग अपने शरीर और दुनिया को बेहतर बनाने के लिए घर बैठे ही वैज्ञानिक बन गए हैं। मजेदार है, पर थोड़ा खतरनाक भी हो सकता है!

Nutrigenomics

समझो ऐसे – तुम्हारा खाना और तुम्हारे जीन्स आपस में गपशप करते हैं। कभी सोचा है कि तुम्हारा दोस्त वही खाता है जो तुम खाते हो, फिर भी वो पतला रहता है और तुम मोटे हो जाते हो? यही है न्यूट्रीजेनोमिक्स का खेल!
अब वैज्ञानिक इस बातचीत को समझने की कोशिश कर रहे हैं। वो चाहते हैं कि हर आदमी को पता चले कि उसके लिए कौन सा खाना ठीक है और कौन सा नहीं।
इसके लिए क्या करते हैं? तुम्हारे मुंह से थोड़ा सा लार लेकर लैब में भेज देते हैं। वहां पता लगाते हैं कि तुम्हारे जीन्स कैसे हैं। फिर डॉक्टर बताते हैं कि तुम्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
मतलब, अब तुम्हारी थाली में क्या होगा, ये तुम्हारे जीन्स तय करेंगे! अगर तुम्हारे जीन्स कहते हैं कि तुम्हें शक्कर से एलर्जी हो सकती है, तो मिठाई से दूर रहना पड़ेगा।
बस, समझ लो कि ये लोग हर आदमी के लिए अलग-अलग मेन्यू बना रहे हैं। अब खाना सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, तुम्हारे जीन्स को खुश करने के लिए भी है!

Grinders

ये ग्राइंडर वाले तो एकदम हटके लोग हैं! समझो ऐसे – ये वो पागल हैं जो सोचते हैं कि भगवान ने जो शरीर दिया है, वो काफी नहीं है। इन्हें लगता है कि इंसान को अपग्रेड करने की जरूरत है, जैसे कि तुम अपने पुराने फोन को नया मॉडल से बदल देते हो।
ये क्या करते हैं? अपने शरीर में छेद करके उसमें गैजेट्स डाल देते हैं! सोचो, जैसे तुम अपनी कार में नया स्पीकर लगाते हो, वैसे ही ये अपने हाथ में चिप लगा लेते हैं। कोई अपनी आंखों में LED लाइट लगा रहा है, तो कोई अपने कान में ब्लूटूथ फिट कर रहा है।
इनका मानना है कि ऐसा करके वे सुपरह्यूमन बन जाएंगे। जैसे कि अब उनकी आंखें अंधेरे में भी देख सकेंगी, या फिर वे अपने दिमाग से ही कंप्यूटर चला पाएंगे।
बस, समझ लो कि ये लोग अपने शरीर को एक तरह का गैजेट बना रहे हैं। थोड़ा डरावना लगता है, है ना? पर इन्हें लगता है कि ये भविष्य है। चलो, देखते हैं कि आगे क्या होता है!

क्या यह काम करता है और शोध क्या कहता है?

देखो, सच्चाई ये है कि कोई पक्का नहीं कह सकता कि ये सब काम करता है या नहीं। क्यों? क्योंकि इस पर कोई सख्त नियम नहीं है, और जो लोग ये करते हैं, वो अपने नतीजे बताते नहीं हैं। हाँ, कुछ लोग इंटरनेट पर अपनी कहानियाँ शेयर करते हैं, पर उन पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल है।
फिर भी, कुछ वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया है। उन्होंने पाया कि कुछ चीजें काम कर सकती हैं। जैसे कि वो खाने-पीने वाली biohacking – न्यूट्रीजेनोमिक्स। उन्होंने चूहों पर प्रयोग किया और पाया कि फ्रुक्टोज (एक तरह की चीनी) खाने से उनके जीन्स में बदलाव आया। इससे उनका मेटाबॉलिज्म, सूजन और इम्युनिटी पर असर पड़ा।
और हाँ, एक और चीज जो लोकप्रिय हो रही है – बुलेटप्रूफ कॉफी। ये क्या होता है? बस, कॉफी में घी और एक खास तेल मिला दो। कुछ लोगों का कहना है कि इससे पेट भरा रहता है, दिल की बीमारी नहीं होती, और कैंसर से भी बचाव हो सकता है।
पर याद रखो, ये सब अभी पूरी तरह से साबित नहीं हुआ है। तो अगर कुछ नया करने का मन हो, तो पहले अच्छे से सोच-समझ लो। अपने शरीर के साथ कोई ऐसा-वैसा प्रयोग मत करना जो बाद में पछताना पड़े!

the biohacking diet revolution

अरे यार, तुम अपनी ज़िंदगी को सुपरचार्ज करना चाहते हो? चलो, कुछ मज़ेदार तरीके बताता हूं जिन्हें लोग अपनाते हैं:

  1. सोचो तुम रोबोट हो! अपने दिनचर्या को बिल्कुल टाइम-टेबल की तरह सेट करो। हर काम एक निश्चित समय पर – खाना, सोना, काम करना, सब कुछ!
  2. अपने दिमाग को थोड़ा धोखा दो। जब भी कोई मुश्किल काम करना हो, उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट दो। फिर देखो कैसे बड़े से बड़ा काम आसान हो जाता है।
  3. अपने खाने की थाली को रंग-बिरंगा बना दो! हरी सब्जियाँ, लाल फल, पीला दाल – जितने रंग, उतना फायदा।
  4. रात को फोन से दूर रहो, जैसे कि वो कोई भूत हो! नीली रोशनी से बचो और देखो कैसे नींद मीठी हो जाती है।
  5. थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीते रहो, जैसे कि तुम कोई मछली हो! हाइड्रेटेड रहना भी एक कला है।
  6. कभी-कभी भूखे रहना भी सीखो। इंटरमिटेंट फास्टिंग करके देखो, शायद तुम्हारा शरीर तुम्हें धन्यवाद दे।
  7. और हाँ, कभी-कभी अपने दिमाग को भी धूप दिखाओ। बाहर निकलो, थोड़ी धूप लो, ताज़ी हवा में साँस लो।

बस, ये सब करके देखो। शायद तुम भी अपने आप को सुपरहीरो जैसा महसूस करने लगो! पर हाँ, याद रखना – हर किसी का शरीर अलग होता है। जो तुम्हारे दोस्त के लिए अच्छा है, वो तुम्हारे लिए ज़रूरी नहीं कि वैसा ही हो। तो थोड़ा सोच-समझकर ही कोई नया तरीका अपनाना, ठीक है?

रुक – रुक कर उपवास

समझो ऐसे – तुम खाने के मामले में टाइम टेबल बना रहे हो। जैसे कि तुम कहते हो, “देखो भाई, मैं रात 8 बजे के बाद कुछ नहीं खाऊंगा, और फिर अगले दिन दोपहर 12 बजे तक भूखा रहूंगा।” बस, यही है आंतरायिक उपवास।

अब इसके फायदे की बात करें तो:

  1. पेट कम होता है, यानी वजन घटता है।
  2. बीपी कंट्रोल में रहता है।
  3. दिल धीरे-धीरे धड़कता है, जैसे कि वो आराम से बैठा हो।
  4. शरीर में सूजन कम होती है।
  5. दिल मजबूत होता है, जैसे कि वो कह रहा हो, “लाओ, कोई तनाव दो, मैं झेल लूंगा!”
  6. और हां, शुगर भी कंट्रोल में रहती है।

पर याद रखो, ये कोई जादू की छड़ी नहीं है। हर किसी के लिए ये सही नहीं हो सकता। अगर करना है तो पहले डॉक्टर से पूछ लो। और हां, पानी पीते रहना मत भूलना, वरना भूखे-प्यासे बैठे रहोगे तो फायदे की जगह नुकसान हो जाएगा!

ठंडे पानी की थेरेपी आजकल काफी चर्चा में है।

ठंडे पानी की थेरेपी आजकल काफी चर्चा में है। लोग इसे स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए अपना रहे हैं। इसमें बस 15°C से कम तापमान के पानी में डुबकी लगाई जाती है। कोई नदी-तालाब में तैर सकता है या फिर बर्फ से भरे टब में बैठ सकता है।

2020 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, ठंडे पानी में नहाने से कई फायदे होते हैं:

  • दिल मजबूत होता है
  • इम्युनिटी बढ़ती है
  • हार्मोन्स का संतुलन ठीक रहता है
  • मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है

लेकिन ध्यान रहे, इसमें खतरे भी हैं:

  • शरीर को सदमा लग सकता है
  • बॉडी टेम्परेचर बहुत गिर सकता है
  • कभी-कभी जान भी जा सकती है

अगर आप भी ये ट्राई करना चाहते हैं, तो किसी एक्सपर्ट की मदद लें। धीरे-धीरे शुरुआत करें। पहले थोड़ी देर के लिए पानी में रहें, फिर समय बढ़ाते जाएं।

क्या आप ठंडे पानी की थेरेपी के बारे में और जानना चाहेंगे?

कैफीन के बारे में बात करें तो ये एक दोधारी तलवार है।

अरे हाँ, कैफीन के बारे में बात करें तो ये एक दोधारी तलवार है।

इसके फायदे तो हैं:

  • दिमाग तेज चलता है
  • नींद भागती है
  • काम में मन लगता है

लेकिन ज्यादा पीने से नुकसान भी हो सकते हैं:

  • बीपी बढ़ सकता है
  • चिड़चिड़ापन आ सकता है
  • सिर दुखने लगता है

तो क्या करें? बस थोड़ा-थोड़ा पिएं। एक-दो कप कॉफी या चाय से ज्यादा नहीं। याद रखें, हर चीज़ की तरह कैफीन में भी संतुलन जरूरी है।

आप कैफीन कैसे लेते हैं? क्या आपको इसके कोई फायदे या नुकसान महसूस हुए हैं?

इसमें कुछ मुसीबतें भी हैं।

ठीक है, चलो biohacking के बारे में बात करते हैं। ये एक दिलचस्प चीज़ है, पर इसमें कुछ मुसीबतें भी हैं।

सबसे बड़ी बात ये है कि बायोहैकर्स अकेले काम करते हैं। कोई उन पर नज़र नहीं रखता। ये थोड़ा खतरनाक हो सकता है। क्यों?

  1. सुरक्षा का मसला: ये लोग कभी-कभी खतरनाक चीज़ों के साथ काम करते हैं, पर सही से सावधानी नहीं बरतते। दस्ताने नहीं पहनते, लैब कोट नहीं पहनते। इससे उन्हें नुकसान हो सकता है।
  2. गलत सलाह का खतरा: कई बार ये लोग इंटरनेट पर या सोशल मीडिया पर सलाह देते हैं। पर ये सलाह सही हो, ये जरूरी नहीं। इससे लोगों की सेहत बिगड़ सकती है।
  3. सबके लिए फिट नहीं: जो चीज़ एक के लिए अच्छी है, वो दूसरे के लिए बुरी हो सकती है। जैसे, कुछ देर के लिए खाना न खाना (इंटरमिटेंट फास्टिंग) सबके लिए सही नहीं है।

तो क्या करें? अगर आप कोई नया तरीका अपनाना चाहते हैं, तो पहले डॉक्टर से बात करें। वो आपको बताएंगे कि ये आपके लिए सही है या नहीं।

याद रखें, जो चमकता है वो सोना नहीं होता। नए-नए तरीकों को आजमाने से पहले थोड़ा सोच-समझ लें।

रक्त परीक्षण और biohacking की बात कर रहे हैं!

रक्त परीक्षण और biohacking की बात कर रहे हैं! चलो इसे आसान भाषा में समझते हैं:

रक्त परीक्षण एक तरह का बॉडी चेकअप है। ये बताता है कि आपके शरीर में क्या चल रहा है। जैसे:

  • किस विटामिन की कमी है
  • कौन से पोषक तत्व ज्यादा या कम हैं
  • आपके खून में कितनी सेल्स हैं

अब बायोहैकर्स इस जानकारी का क्या करते हैं?

  1. वो अपनी डाइट बदलते हैं। जैसे, अगर आयरन कम है तो पालक खाना शुरू करते हैं।
  2. वो सप्लीमेंट्स लेते हैं। अगर विटामिन डी कम है तो उसकी गोली लेंगे।
  3. वो देखते हैं कि ये बदलाव उनके शरीर पर कैसा असर कर रहे हैं।

कुछ लोग तो बहुत गहराई में जाते हैं। वो ऐसे टेस्ट करवाते हैं जो बताते हैं कि आगे चलकर कोई बीमारी हो सकती है या नहीं। फिर वो उसे रोकने की कोशिश करते हैं।

पर याद रखें, ये सब करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। क्योंकि हर किसी का शरीर अलग होता है।

Biohacking vs. biotechnology

चलो, biohacking और बायोटेक्नोलॉजी के बारे में बात करते हैं। ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं, पर कभी-कभी एक दूसरे से जुड़ जाती हैं।

बायोटेक्नोलॉजी क्या है?

  • ये साइंस और इंजीनियरिंग का मेल है।
  • इसमें जीवित चीजों का इस्तेमाल करके नई चीजें बनाई जाती हैं।
  • आसान उदाहरण है – ब्रेड बनाना। हम खमीर (जो जीवित होता है) का इस्तेमाल करके रोटी बनाते हैं।

biohacking क्या है?

  • ये लोग अपने शरीर या दिमाग को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं।
  • वे नए-नए तरीके आजमाते हैं, जैसे खास डाइट या एक्सरसाइज।

अब इन दोनों का क्या कनेक्शन है?

  • बायोहैकर्स कभी-कभी बायोटेक्नोलॉजी से मिली जानकारी का इस्तेमाल करते हैं।
  • पर ये जरूरी नहीं कि हर बायोहैकर बायोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करे।

सोचिए, जैसे कोई व्यक्ति अपनी नींद सुधारने के लिए कुछ नया तरीका अपनाता है – ये biohacking है। पर अगर कोई वैज्ञानिक लैब में नई दवा बना रहा है – ये बायोटेक्नोलॉजी है।

क्या ये कानूनी है?

  • हाँ, अपने स्वास्थ्य के लिए नए तरीके आजमाना कानूनी है।
  • पर कुछ चीजें नहीं कर सकते, जैसे खुद से पौधों को बदलना या मिट्टी के कीटाणुओं से खेलना।
  • अमेरिका में इसके नियम ज्यादा सख्त नहीं हैं, पर जर्मनी जैसे देशों में इसके लिए लाइसेंस लेना पड़ता है।

क्या लंबी उम्र पाना संभव है?

  • कुछ लोग इस पर काम कर रहे हैं।
  • वे अच्छा खाना खाते हैं, व्यायाम करते हैं, और ध्यान लगाते हैं।
  • कुछ लोग तो नए-नए तरीके भी आजमा रहे हैं, जैसे खून बदलना या जीन्स में बदलाव करना।
  • पर इससे कुछ सवाल भी उठते हैं, जैसे क्या ये सही है? क्या सभी लोग इसे कर पाएंगे?

biohacking क्या है?

  • ये अपने शरीर को बेहतर बनाने के तरीके हैं।
  • कुछ आसान तरीके हैं जैसे विटामिन लेना या स्मार्टवॉच पहनना।
  • कुछ जटिल तरीके भी हैं, जैसे अपने शरीर में चिप लगवाना।
  • कुछ तरीके काम करते हैं, कुछ नहीं।
  • पर इसमें खतरा भी हो सकता है क्योंकि इस पर कोई सख्त नियम नहीं हैं।
  1. क्या आप भी कुछ कर सकते हैं?
  • हाँ, कुछ आसान चीजें आप भी कर सकते हैं।
  • जैसे, थोड़ी-थोड़ी देर में कॉफी पीना।
  • या फिर कुछ घंटों के लिए खाना न खाना (इंटरमिटेंट फास्टिंग)।
  • या फिर नीली रोशनी वाली थेरेपी लेना।

याद रखें, कोई भी नया तरीका अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना अच्छा रहता है।

क्या आपने कभी इनमें से कोई तरीका आजमाया है? आपका अनुभव कैसा रहा?

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