Champai Soren : पूरा मामला काफी गरमागरम रहा था। हेमंत सोरेन पर दबाव बढ़ता गया और आखिरकार उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। ईडी उनके पीछे पड़ी थी और गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा था। इसी बीच उन्होंने इस्तीफा दे दिया। फिर उनके बेटे Champai Soren ने मुख्यमंत्री की कमान संभाली। कुल मिलाकर, राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल था और सत्ता परिवर्तन हुआ।
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Champai Soren: ये खबर तो अभी गरम है।
ये खबर तो अभी गरम है। Champai Soren ने कुछ ऐसा कह दिया है जिससे सबके कान खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास तीन रास्ते हैं और वो किसी को भी चुन सकते हैं। अब ये तीन रास्ते क्या हैं, इस पर तो सब अटकलें लगा रहे हैं।
कुछ लोग सोच रहे हैं कि क्या वो भाजपा में जाएंगे? या फिर अपनी पार्टी में ही रहेंगे? या कोई नया दांव खेलेंगे? पॉलिटिकल गलियारों में इस बात पर खूब चर्चा हो रही है।
चंपई ने बड़ी चालाकी से बात कही है। न हां कही, न ना। बस इतना कह दिया कि सारे विकल्प खुले हैं। अब देखना ये है कि वो आगे क्या करते हैं।
Champai Soren: झामुमो ने एक्स पर जो लिखा है, वो पढ़कर दिल को छू जाता है।
झामुमो ने एक्स पर जो लिखा है, वो पढ़कर दिल को छू जाता है। उन्होंने पूरी कहानी याद की है – कैसे Champai Soren ने 2 फरवरी को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली और फिर कैसे हेमंत सोरेन ने वापस आकर गद्दी संभाल ली।
ये पोस्ट ऐसे लिखी गई है जैसे कोई अपनी डायरी में लिख रहा हो। उन्होंने याद किया कि कैसे चंपई ने उस वक्त जिम्मेदारी उठाई जब हेमंत नहीं थे। और अब जब हेमंत वापस आ गए हैं, तो कैसे चंपई ने चुपचाप कुर्सी छोड़ दी।
इस पोस्ट में झामुमो ने अपनी भावनाएं खुलकर बयां की हैं। ये सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं लगता, बल्कि एक परिवार की कहानी जैसा लगता है जो मुश्किल वक्त से गुजरा है।
Champai Soren ने दिल खोलकर बात की है।
Champai Soren ने दिल खोलकर बात की है। उन्होंने अपने छोटे से मुख्यमंत्री काल की पूरी कहानी बयां कर दी।
वो कह रहे हैं कि कैसे अचानक से उन्हें मुख्यमंत्री बनना पड़ा। फिर कैसे उन्होंने पूरी लगन से काम किया। उनका कहना है कि वो हमेशा लोगों के लिए तैयार रहे, चाहे कोई भी हो – बुढ़े हों, औरतें हों, नौजवान हों या फिर छात्र।
चंपई ने ये भी कहा कि उन्होंने कई बड़े फैसले लिए, जो लोगों की भलाई के लिए थे। अब वो चाहते हैं कि Jharkhand के लोग ही बताएं कि उनका काम कैसा रहा।
ये पोस्ट पढ़कर लगता है जैसे चंपई अपने काम का हिसाब-किताब दे रहे हों। वो लोगों को याद दिला रहे हैं कि भले ही वो थोड़े समय के लिए मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उन्होंने पूरी मेहनत से काम किया।
Champai Soren: सबसे पहले, हेमंत सोरेन पर ईडी का शिकंजा कसता गया।
सबसे पहले, हेमंत सोरेन पर ईडी का शिकंजा कसता गया। उन पर जमीन घोटाले का आरोप था। हालात ऐसे हो गए कि उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी।
फिर क्या हुआ? Champai Soren को मौका मिला। 67 साल के इस नेता ने राज्य की कमान संभाली। वो मुख्यमंत्री बन गए।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। 28 जून को एक बड़ा मोड़ आया। Jharkhand हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को जमानत दे दी। बस फिर क्या था, हेमंत वापस मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आ गए।
ये सब देखकर लगता है जैसे कोई फिल्म का क्लाइमैक्स चल रहा हो। पहले एक नेता जाता है, दूसरा आता है, फिर पहला वापस आ जाता है।
Champai Soren ने तो अपने दिल की बात कह दी है।
Champai Soren ने तो अपने दिल की बात कह दी है। उन्होंने बताया कि कैसे अचानक से उनकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आया।
उनका कहना है कि 30 जून को हूल दिवस मनाने के बाद उन्हें एक खबर मिली। और वो खबर क्या थी? उनके अगले दो दिन के सारे प्रोग्राम रद्द कर दिए गए थे। और ये फैसला किसने लिया? झामुमो के बड़े नेताओं ने।
ये सुनकर तो ऐसा लगता है जैसे चंपई को पहले से कुछ पता ही नहीं था। उन्हें अचानक से बता दिया गया कि अब उनके कार्यक्रम नहीं होंगे।
इस पोस्ट से लगता है कि चंपई थोड़े नाराज हैं। शायद वो ये कहना चाह रहे हैं कि उनके साथ ठीक नहीं हुआ। या फिर वो लोगों को बताना चाह रहे हैं कि उनकी कुर्सी कैसे गई।
Champai Soren: चंपई कह रहे हैं कि उनके दो बड़े काम रुक गए:
- दुमका में एक जनता से मिलने का प्रोग्राम
- शिक्षकों को नौकरी देने का कार्यक्रम
जब उन्होंने पूछा कि ऐसा क्यों हुआ, तो उन्हें बताया गया कि 3 जुलाई को एक बड़ी मीटिंग होने वाली है। और उससे पहले वो मुख्यमंत्री के रूप में कहीं नहीं जा सकते।
Champai Soren: क्या किसी लोकतांत्रिक देश में इससे ज्यादा शर्मनाक बात हो सकती है
किसी लोकतांत्रिक देश में इससे ज्यादा शर्मनाक बात हो सकती है कि कोई दूसरा व्यक्ति मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को रद्द कर दे? यह बहुत ही बुरा लगा, लेकिन फिर भी मैंने कहा कि ठीक है, मैं सुबह नियुक्ति पत्र बाँटूँगा और फिर दोपहर में विधायकों की मीटिंग में शामिल हो जाऊँगा। पर उन्होंने मुझे साफ-साफ मना कर दिया। यह कैसा व्यवहार है?
Champai Soren: मेरे 40 साल के राजनीतिक करियर में यह पहली बार था
मेरे 40 साल के राजनीतिक करियर में यह पहली बार था जब मैं इतना दुखी और हताश महसूस कर रहा था। मैं बिल्कुल उलझन में था और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ। दो दिन तक मैं चुपचाप बैठा रहा, सोचता रहा कि क्या हुआ और क्या मैंने कोई गलती की। मुझे सत्ता की कोई लालच नहीं थी, लेकिन मेरी आत्मसम्मान को जो चोट पहुंची, उसे मैं किसे बता सकता था? अपने ही लोगों ने मुझे इतना दुख दिया, पर मैं इस बारे में किससे बात कर सकता था?
विधायकों की मीटिंग में मुझसे इस्तीफा मांगा गया।
विधायकों की मीटिंग में मुझसे इस्तीफा मांगा गया। मैं हैरान था, पर मुझे कुर्सी की कोई लालच नहीं थी, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया। लेकिन इस तरह से मेरा अपमान करने से मैं बहुत दुखी हो गया।
पिछले तीन दिनों से मेरे साथ जो भी बुरा बर्ताव हो रहा था, उससे मैं इतना भावुक हो गया जेस कि रोने को हो रहा था। पर उन लोगों को तो बस कुर्सी से मतलब था। मुझे लगा जैसे इस पार्टी में मेरी कोई अहमियत ही नहीं है, जबकि मैंने अपनी पूरी जिंदगी इसी पार्टी को दे दी।
इस दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे मेरा अपमान हुआ, पर अभी मैं उनके बारे में बात नहीं करना चाहता। इतना अपमान और बेइज्जती झेलने के बाद मुझे मजबूरी में कोई दूसरा रास्ता ढूंढना पड़ा।
आज से मेरी जिंदगी का नया दौर शुरू हो रहा है।
मन बहुत भारी था, पर मैंने उसी मीटिंग में कह दिया – ‘आज से मेरी जिंदगी का नया दौर शुरू हो रहा है।’ मेरे पास तीन रास्ते थे:
- राजनीति छोड़ दूं
- अपनी खुद की पार्टी बना लूं
- अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे बढ़ूं वह लग रहा है.
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