18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने इतिहास रचा। उन्होंने फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतकर सबसे कम उम्र के विजेता बने।
विजय के बाद तिरंगे में लिपटे गुकेश को फिडे प्रमुख ने विश्व चैंपियन का ताज पहनाया।
गुकेश ने 1.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 11.03 करोड़ रुपये) की पुरस्कार राशि जीती।
प्रमुख बिंदु:
- 18 वर्षीय डी गुकेश ने फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतकर रचा इतिहास
- विजयी गुकेश को फिडे प्रमुख ने विश्व चैंपियन का ताज पहनाया
- गुकेश ने 1.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि जीती
- भारतीय युवा प्रतिभा का जलवा
18 वर्षीय गुकेश की ऐतिहासिक उपलब्धि
भारतीय शतरंज जगत में एक युवा प्रतिभा ने अपनी पहचान बनाई है। 18 वर्षीय गुकेश ने फिडे विश्व चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को हराकर यह उपलब्धि हासिल की।
विश्व चैंपियनशिप का सफर
गुकेश बचपन से ही शतरंज में अपनी प्रतिभा दिखाते आए हैं। उनकी रणनीति और खेल का प्रति-प्रेम ने उन्हें सफल बनाया। चैंपियनशिप में उन्होंने अपनी तकनीक और मानसिक ताकत का प्रदर्शन किया।
डिंग लिरेन को हराकर रचा इतिहास
गुकेश ने लगभग तीन सप्ताह के मुकाबले में डिंग लिरेन को हराया। फिडे अध्यक्ष अर्काडी ड्वोरकोविच ने उनके प्रदर्शन की सराहना की। लेकिन कुछ आलोचनाएं भी आईं।
करोड़ रुपये का पुरस्कार
गुकेश को अपनी जीत के लिए 1.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 11.03 करोड़ रुपये) मिले। यह उनके प्रयासों का सम्मान है। इस राशि से वह अपने भविष्य की योजनाओं को आगे बढ़ा सकते हैं।
–ग्रैंडमास्टर गुकेश
फिडे प्रमुख द्वारा डी गुकेश को विश्व शतरंज चैंपियन का ताज पहनाया गया, समारोह में भारतीय ध्वज में सजे
भारतीय शतरंज प्रतिभा डी गुकेश ने इतिहास रच दिया है। 18 वर्षीय गुकेश ने फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया है। फिडे अध्यक्ष अर्काडी ड्वोरकोविच ने समापन समारोह में गुकेश को विश्व चैंपियन का ताज पहनाया।
गुकेश तिरंगे में लिपटे हुए थे, जो भारतीय शतरंज के लिए एक गौरव का क्षण था। उन्होंने अपने भाषण में इस यात्रा को एक सपने के रूप में वर्णित किया। उन्होंने अपने समर्थकों, परिवार और भगवान के प्रति आभार व्यक्त किया।
समारोह में गुकेश ने सैकड़ों प्रशंसकों को ऑटोग्राफ दिए और मीडिया से बातचीत की। यह एक ऐतिहासिक पल था, जब भारत के युवा चैंपियन ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश का गौरव बढ़ाया।
फिडे समारोह में भारतीय ध्वज में सजे गुकेश का यह शतरंज पुरस्कार वितरण भारतीय अंतरराष्ट्रीय मान्यता का प्रतीक है।
निष्कर्ष
डी गुकेश की यह जीत भारतीय शतरंज के भविष्य के लिए एक नई उम्मीद है। यह दिखाती है कि भारतीय युवा प्रतिभा विश्व स्तरीय है।
गुकेश की उपलब्धि युवा शतरंज खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी। यह खेल प्रोत्साहन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
यह जीत भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। देश में इस अंतरराष्ट्रीय मान्यता वाले खेल की लोकप्रियता बढ़ेगी।
इस उपलब्धि से भारतीय खेल प्रशंसकों में उत्साह बढ़ेगा। गर्व का भाव भी जागृत होगा।
कुल मिलाकर, डी गुकेश की यह जीत भारतीय शतरंज के लिए एक मील का पत्थर है। यह देश में इस खेल के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है।