Metaverse Jobs : आज की तेज़ी से बदलती टेक दुनिया में, कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को AI जैसी नई तकनीकों में माहिर बनाने के लिए नए-नए तरीके अपना रही हैं। अब वो पुराने एक-जैसे-सभी-के-लिए ट्रेनिंग मॉडल से आगे बढ़ गई हैं।
कंपनियाँ अब क्या कर रही हैं?
अपने खुद के लर्निंग प्लेटफॉर्म बना रही हैं
मेटावर्स में प्रैक्टिकल अनुभव दे रही हैं
Google और Microsoft के एक्सपर्ट्स से सीखने के मौके दे रही हैं
एडटेक कंपनियों के साथ मिलकर पर्सनलाइज्ड प्रोग्राम्स चला रही हैं
ये सब AI में लोगों को ट्रेन करने के लिए किया जा रहा है।
वैसे, भारत इस मामले में काफी आगे है। नैसकॉम और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 4.2 लाख लोग AI से जुड़े काम कर रहे हैं। विश्व स्तर पर इस क्षेत्र में भारत दूसरे पायदान पर विराजमान है।
तो देखा जाए तो कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को नई तकनीकों से लैस करने के लिए हर तरह के नए-पुराने तरीके अपना रही हैं। क्या आपको लगता है ये अप्रोच कारगर होगी?
भारत में AI के क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है।
इस साल की शुरुआत में नैसकॉम और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप ने एक दिलचस्प रिपोर्ट निकाली। उसमें बताया गया कि भारत में AI के क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है।
आंकड़े क्या कहते हैं?
- करीब 4.2 लाख लोग AI से जुड़े काम कर रहे हैं
- विश्व स्तर पर इस क्षेत्र में भारत दूसरे पायदान पर विराजमान है।
सीधे शब्दों में कहें तो, AI के क्षेत्र में भारत के पास बहुत सारे होनहार लोग हैं। हम इस मामले में दुनिया के टॉप देशों में से एक हैं।
ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में AI की फील्ड तेजी से बढ़ रही है। क्या आपको लगता है कि आने वाले समय में ये संख्या और बढ़ेगी? AI का भविष्य भारत में कैसा दिखता है आपको?
AI का चलन बढ़ रहा है,
AI का चलन बढ़ रहा है, और कंपनियां इसे अच्छी तरह समझ रही हैं। वे जानती हैं कि AI में माहिर लोगों की जरूरत बहुत ज्यादा होने वाली है। इसलिए वे अपने मौजूदा कर्मचारियों को AI में एक्सपर्ट बनाने की कोशिश कर रही हैं।
क्या हो रहा है?
- कंपनियां अपने कर्मचारियों की स्किल्स अपग्रेड कर रही हैं
- वे लोगों को नई तकनीकों में ट्रेनिंग दे रही हैं
- इस सब पर वे काफी पैसा खर्च कर रही हैं
सीधे शब्दों में कहें तो, कंपनियां अपने पुराने कर्मचारियों को नए जमाने के लायक बना रही हैं। वे चाहती हैं कि उनके कर्मचारी AI जैसी नई तकनीकों में माहिर हो जाएं।
इंफोसिस, जो कि एक बड़ी IT कंपनी है
इंफोसिस, जो कि एक बड़ी IT कंपनी है, अपने कर्मचारियों की ट्रेनिंग पर खास ध्यान दे रही है। उन्होंने इसके लिए एक खास तरीका अपनाया है:
- उनका अपना एक लर्निंग प्लेटफॉर्म है, जिसका नाम है ‘लेक्स’
- इस प्लेटफॉर्म पर वे अपने कर्मचारियों के लिए खास ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाते हैं
- ये प्रोग्राम हर कर्मचारी की जरूरत के हिसाब से बनाए जाते हैं
मतलब साफ है – इंफोसिस चाहती है कि उसके कर्मचारी नई तकनीकों में माहिर हों, और वो इसके लिए अपना खुद का तरीका इस्तेमाल कर रही है।
बॉस मोहम्मद रफी तरफदार ने कुछ दिलचस्प बातें बताई हैं
इंफोसिस के बड़े टेक बॉस मोहम्मद रफी तरफदार ने कुछ दिलचस्प बातें बताई हैं:
- पिछले डेढ़ साल में क्या हुआ?
- कंपनी ने AI सीखने के लिए 50 से ज्यादा खास कोर्स बनाए
- ये कोर्स ऐसे हैं कि कर्मचारी कभी भी, कहीं से भी इन्हें कर सकते हैं
- कितने लोगों को फायदा हुआ?
- करीब 2.7 लाख कर्मचारियों ने AI की ट्रेनिंग ली
सीधे शब्दों में कहें तो, इंफोसिस अपने कर्मचारियों को AI में माहिर बनाने के लिए बहुत मेहनत कर रही है। वे चाहते हैं कि उनके लोग नई तकनीक में आगे रहें।
एक्सेंचर, जो कि एक बड़ी टेक कंपनी है
एक्सेंचर, जो कि एक बड़ी टेक कंपनी है, उसने भी अपने कर्मचारियों को AI सिखाने का बड़ा काम किया है। ये जानकारी एक्सेंचर के भारत में डेटा और AI विभाग के बॉस मुकेश चौधरी ने दी।
उन्होंने क्या बताया?
- कितने लोगों को ट्रेनिंग दी गई?
- 6 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को AI की बेसिक ट्रेनिंग दी गई
- ट्रेनिंग में क्या सिखाया गया?
- AI टूल्स को सही और बिना किसी पक्षपात के कैसे इस्तेमाल करें
- AI के बुनियादी सिद्धांत क्या हैं
- ये ट्रेनिंग कैसे दी गई?
- कंपनी के खुद के ‘टेक्नोलॉजी कोशंट’ नाम के ग्लोबल लर्निंग प्रोग्राम के जरिए
सीधे शब्दों में कहें तो, एक्सेंचर चाहती है कि उसके सभी कर्मचारी AI को समझें और उसका सही इस्तेमाल करना जानें।
चलिए मुकेश चौधरी जी की बात को समझते हैं:
चलिए मुकेश चौधरी जी की बात को समझते हैं:
- एक्सेंचर का मौजूदा हाल:
- अभी कंपनी में करीब 55,000 लोग हैं जो डेटा और AI में माहिर हैं
- कंपनी का भविष्य का लक्ष्य:
- वित्त वर्ष 2026 के अंत तक, यानी करीब ढाई साल में, वे चाहते हैं कि उनके पास 80,000 ऐसे एक्सपर्ट हों
- क्या कर रहे हैं वे इसके लिए?
- लगातार अपने डेटा और AI टीम को बढ़ा रहे हैं
- नए लोगों को हायर कर रहे हैं और पुराने लोगों को ट्रेनिंग दे रहे हैं
सीधे शब्दों में कहें तो, एक्सेंचर AI और डेटा के क्षेत्र में बहुत बड़ा खिलाड़ी बनना चाहती है। वे इस फील्ड में अपनी ताकत को लगभग दोगुना करना चाहते हैं।
रिक्सन की स्ट्रैटेजी
चलिए एरिक्सन की स्ट्रैटेजी को आसान भाषा में समझते हैं। ये जानकारी एरिक्सन की HR हेड प्रियंका आनंद ने दी है:
- एरिक्सन क्या कर रही है?
- अपने कर्मचारियों को AI में ट्रेनिंग दे रही है
- इसके लिए उन्होंने ‘डिजिटल अकादमी’ नाम का एक प्रोग्राम शुरू किया है
- वे क्या सिखा रहे हैं?
- AI और ऑटोमेशन जैसी नई तकनीकों को कैसे इस्तेमाल करें
- डेटा साइंस में कैसे एक्सपर्ट बनें
- इसका मकसद क्या है?
- कंपनी चाहती है कि उसके कर्मचारी डिजिटल दुनिया में आगे रहें
- वे चाहते हैं कि उनके लोग नई तकनीकों का बेहतर इस्तेमाल कर सकें
सीधे शब्दों में कहें तो, एरिक्सन अपने कर्मचारियों को फ्यूचर-रेडी बना रही है। वे चाहते हैं कि उनकी टीम AI और डेटा के जमाने में पीछे न रहे।
जेनपैक्ट नाम की एक कंपनी ने एक नया AI टूल लॉन्च किया है
जेनपैक्ट नाम की एक कंपनी ने एक नया AI टूल लॉन्च किया है, जिसे “AI गुरु” कहा जाता है। ये टूल कर्मचारियों की मदद करने के लिए बनाया गया है। इसका काम है कर्मचारियों को काम करते समय छोटे-छोटे लर्निंग टिप्स देना और उनकी जरूरत के हिसाब से सीखने की सलाह देना। आसान शब्दों में कहें तो ये एक डिजिटल टीचर की तरह है जो आपके साथ काम पर रहता है और जरूरत पड़ने पर मदद करता है।
रेडबस नाम की बस टिकट बुकिंग कंपनी ने…
रेडबस नाम की बस टिकट बुकिंग कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए एक नया और मजेदार लर्निंग प्लेटफॉर्म शुरू किया है। इसमें वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) का इस्तेमाल किया गया है, जो कि मेटावर्स टेक्नोलॉजी का हिस्सा हैं।
इस प्लेटफॉर्म पर कर्मचारी लॉग इन करके अपना खुद का मूल्यांकन कर सकते हैं। फिर उन्हें अपने हिसाब से एक डेवलपमेंट प्लान मिलता है। ये प्लान उनके लक्ष्यों और सपनों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है, और बताता है कि उन्हें किन क्षेत्रों में अपने स्किल्स को बेहतर बनाने की जरूरत है।
प्रशिक्षण संबंध
कंपनियां अपने कर्मचारियों को नए और बेहतर स्किल्स सिखाने के लिए दूसरी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। चलो कुछ उदाहरण देखते हैं:
- जेनपैक्ट:
- उडेमी और लिंक्डइन लर्निंग के साथ मिलकर अपने टॉप डेटा-टेक-एआई प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग दे रही है।
- माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर एक “जेनरेटिव एआई प्लेग्राउंड” बनाया है। यहां कर्मचारी सुरक्षित माहौल में जेनरेटिव एआई को सीख और टेस्ट कर सकते हैं।
- विप्रो:
- एआई ट्रेनिंग के लिए शिक्षा संस्थानों, टेक कंपनियों और स्टार्टअप्स के साथ काम कर रही है।
- रिसर्च और नई प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए कई आईआईटी, आईआईएससी और अमेरिकी यूनिवर्सिटीज के साथ पार्टनरशिप की है।
- माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एडब्ल्यूएस और आईबीएम जैसी बड़ी टेक कंपनियों के साथ मिलकर कर्मचारियों को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन दे रही है।
सीधे शब्दों में कहें तो, ये कंपनियां अपने कर्मचारियों को नई टेक्नोलॉजी में एक्सपर्ट बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। वो चाहती हैं कि उनके कर्मचारी नई चुनौतियों से लोहा लेने को तत्पर रहो।
सीधे शब्दों में कहें तो, ये एक ऐसा वर्चुअल स्कूल है जहां कर्मचारी अपनी गति से और अपनी पसंद के मुताबिक सीख सकते हैं।
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