शनिवार की सुबह छत्रपति sambhaji nagar के केकेट jalgaon गांव के School में बड़ी गड़बड़ हो गई। वहां के बच्चों को अचानक उल्टियां आने लगीं और पेट में मरोड़ उठने लगी। पता नहीं क्या हुआ, पर लगता है कुछ तो गड़बड़ है। ऐसे में तो सबको चिंता हो जाती है, है ना? अब देखते हैं कि अधिकारी इस मामले को कैसे सुलझाते हैं।
बहुत गंभीर मामला हो गया!
बहुत गंभीर मामला हो गया! सुनो तो जरा – Mumbai के छत्रपति sambhaji nagar में एक सरकारी School में बड़ा हंगामा हो गया। वहां के करीब 80 बच्चों को अस्पताल ले जाना पड़ा। और पता है क्यों? बस कुछ बिस्कुट खाने के बाद!
ये बिस्कुट उन्हें School में मिड-डे मील के तहत दिए गए थे। सोचो, जो खाना बच्चों को ताकत देने के लिए दिया जाता है, वही उन्हें बीमार कर दे। कैसी विडंबना है!
अब सवाल ये है कि आखिर इन बिस्कुट में था क्या? कहीं खराब तो नहीं हो गए थे? या फिर कुछ और गड़बड़ है? ये सब जांच का विषय है।
स्थानीय अफसरों ने बताया कि केकेट jalgaon के उस School में शनिवार की सुबह कुछ गड़बड़ हो गई।
स्थानीय अफसरों ने बताया कि केकेट jalgaon के उस School में शनिवार की सुबह कुछ गड़बड़ हो गई।
बस सोचो, सुबह के करीब साढ़े आठ बजे होंगे, बच्चे अभी-अभी School पहुंचे होंगे। अचानक क्या हुआ कि बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। किसी को मतली आने लगी, तो कोई उल्टी करने लगा।
वहां मौजूद लोगों ने सोचा होगा कि क्या हो रहा है ये? सुबह-सुबह इतने सारे बच्चे एक साथ बीमार कैसे पड़ गए?
जब ये सब हंगामा हुआ ना, तो फटाफट खबर फैल गई।
जब ये सब हंगामा हुआ ना, तो फटाफट खबर फैल गई। बस फिर क्या था, गाँव के सरपंच और सरकारी बाबू लोग भी वहाँ पहुँच गए।
उन्होंने देखा कि हालात नाजुक हैं, तो तुरंत एक्शन में आ गए। बोले, “अरे भाई, इन बच्चों को जल्दी से अस्पताल पहुँचाओ!” फिर क्या था, गाड़ियों का इंतजाम किया और सब बच्चों को अस्पताल ले गए।
डॉक्टर साहब – वो जो अस्पताल में बड़े बाबू हैं
डॉक्टर साहब – वो जो अस्पताल में बड़े बाबू हैं ना, डॉ. बाबासाहेब घुघे – उन्होंने बताया कि ये सारा कांड उन बिस्कुटों की वजह से हुआ। सोचो, पूरे 257 बच्चों की हालत खराब हो गई!
इनमें से 153 को तो जल्दी से अस्पताल लाना पड़ा। बाकी बच्चों को भी परेशानी हुई होगी, पर शायद इतनी ज्यादा नहीं कि अस्पताल जाना पड़े।
डॉक्टर लोगों ने सबका चेकअप किया, दवाई-वाई दी, और जो ठीक हो गए उन्हें घर भेज दिया।
डॉक्टर साहब ने बताया कि सात बच्चों की हालत ज्यादा खराब थी।
डॉक्टर साहब ने बताया कि सात बच्चों की हालत ज्यादा खराब थी। उन्हें तो फटाफट बड़े अस्पताल भेज दिया – वो जो छत्रपति sambhaji nagar का सिविल अस्पताल है ना, वहां। वहां डॉक्टर लोग उनका ठीक से इलाज कर पाएंगे।
और सुनो, उस School में कुल 296 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से ज्यादातर को तो परेशानी हुई। अब बड़े लोग इस बात की छानबीन कर रहे हैं कि आखिर हुआ क्या। कहीं खाने में कुछ गड़बड़ तो नहीं था?
पिछले हफ्ते की बात है, 8 अगस्त को। उत्तर प्रदेश में एक और बड़ा हादसा हो गया।
पिछले हफ्ते की बात है, 8 अगस्त को। उत्तर प्रदेश में एक और बड़ा हादसा हो गया। वहां एक बच्चा था, शिवम यादव, बस 15 साल का। आठवीं क्लास में पढ़ता था।
पहले उसे किसी और अस्पताल ले गए थे – महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज। पर लगता है वहां इलाज ठीक से नहीं हो पाया। फिर उसे बड़े अस्पताल – बीआरडी मेडिकल कॉलेज – ले गए।
पर अफसोस, वहां पहुंचते-पहुंचते देर हो गई। बेचारे शिवम की जान चली गई। सोचो, कितना दुख हुआ होगा उसके मां-बाप को।
ये जो शिवम था ना, वो अकेला नहीं था।
ये जो शिवम था ना, वो अकेला नहीं था। उसके साथ और भी 90 बच्चे थे। ये सब देवरिया के एक School में रहते थे – दीन दयाल उपाध्याय आश्रम पद्धति School। वहां का हॉस्टल था।
रविवार की शाम की बात है। सब बच्चे खाना खाकर सो गए होंगे। पर रात को क्या हुआ पता है? सबकी तबीयत बिगड़ने लगी!
फिर क्या था, हड़बड़ी में सबको अस्पताल ले गए – महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज। वहीं शिवम को भी ले गए थे।
सोचो, एक साथ इतने सारे बच्चे बीमार! कितना डर गए होंगे सब। और मां-बाप की हालत का क्या कहना।
देवरिया में जो समाज कल्याण वाले अफसर हैं
देवरिया में जो समाज कल्याण वाले अफसर हैं ना, उन्होंने कहा, “ये क्या बवाल हो गया! चलो, अब कुछ तो करना पड़ेगा।”
सबसे पहले तो उन्होंने उस कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी, जो School में खाना सप्लाई करती थी। मतलब अब पुलिस वाले भी इस मामले में कूद पड़ेंगे।
फिर क्या था, फटाफट आदेश दे दिया कि School का मेस बंद करो। अब वहां कोई खाना नहीं बनेगा, जब तक सब कुछ ठीक नहीं हो जाता।
उस दिन School के मेस में पूड़ी-छोले बने थे।
उस दिन School के मेस में पूड़ी-छोले बने थे। बच्चे खुश होकर खा गए होंगे, पर फिर क्या हुआ पता है? 60-70 बच्चों की हालत खराब हो गई! किसी को पेट में दर्द होने लगा, तो कोई उल्टी करने लगा।
School वालों ने सोचा होगा, “अरे, छोटी-मोटी बात होगी।” उन्होंने बच्चों को कुछ दवाइयां दे दीं। पर मामला इतना आसान कहां था!
अगली सुबह तक और भी बच्चे बीमार पड़ गए। आखिर में 90 बच्चों की हालत इतनी खराब हो गई कि उन्हें देवरिया के बड़े अस्पताल ले जाना पड़ा।
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