Starbucks में बड़ा बदलाव! लक्ष्मण नरसिम्हन की जगह ब्रायन निकोल बने नए सीईओ। चिपोटल से आए निकोल अब संभालेंगे कंपनी की कमान। भारतीय मूल के नरसिम्हन का कार्यकाल खत्म, नए चेहरे के साथ Starbucks की नई शुरुआत।
Starbucks में बड़ा उलटफेर हो गया है।
Starbucks में बड़ा उलटफेर हो गया है। लक्ष्मण नरसिम्हन ने अचानक अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया और कंपनी से किनारा कर लिया। उनकी जगह अब चिपोटल के बॉस ब्रायन निकोल को ताज पहनाया गया है।
ये खबर मंगलवार को आई और पता है क्या? नरसिम्हन ने तो फटाफट अपना पद छोड़ दिया। कंपनी ने भी जल्दबाजी में एक चिट्ठी जारी करके इसकी पुष्टि कर दी।
लगता है Starbucks के मालिकों को कुछ नया करने की सनक सवार हो गई है। अब देखना ये है कि निकोल साहब कंपनी को कैसी नई दिशा देते हैं।
लक्ष्मण नरसिम्हन तो कोई नए खिलाड़ी नहीं थे।
पूरी कहानी! लक्ष्मण नरसिम्हन तो कोई नए खिलाड़ी नहीं थे। पेप्सिको जैसी बड़ी कंपनियों में अपना लोहा मनवा चुके थे।
मार्च 2023 में जब उन्होंने Starbucks की कमान संभाली, तो लगा था कि अब कंपनी में नए जोश की लहर आएगी। वो भी हॉवर्ड शुल्त्स के साथ काफी वक्त तक काम कर चुके थे। शुल्त्स तो Starbucks के दिग्गज हैं, जिन्होंने कंपनी को इतना बड़ा बनाया।
लेकिन लगता है कि नरसिम्हन का जादू ज्यादा दिन नहीं चला। अब सोचो, इतने कम वक्त में क्या हुआ होगा जो उन्हें अपना बैग पैक करना पड़ गया?
शाम 6 बजे के बाद तो वो ऑफिस की चिंता छोड़ देते हैं।
लक्ष्मण नरसिम्हन ने पिछले महीने ही फॉर्च्यून मैगजीन से बातचीत में अपनी लाइफस्टाइल का राज खोला था।
बोले थे कि शाम 6 बजे के बाद तो वो ऑफिस की चिंता छोड़ देते हैं। यानी कि जब दूसरे बॉस लेट नाइट मीटिंग्स में जुटे होते हैं, तब नरसिम्हन साहब शायद अपनी फेवरेट कॉफी का मजा ले रहे होते थे!
उन्होंने कहा था कि काम और निजी जिंदगी का बैलेंस बनाना बहुत जरूरी है। लेकिन लगता है कंपनी को ये बात रास नहीं आई।
सोचो, एक तरफ Starbucks जैसी बड़ी कंपनी, और दूसरी तरफ 6 बजे के बाद “डू नॉट डिस्टर्ब” मोड में चले जाने वाले सीईओ। क्या ये मेल खा पाता?
नरसिम्हन साहब ने तो हद ही कर दी।
नरसिम्हन साहब ने तो हद ही कर दी। शाम 6 बजे के बाद उनसे मिलना मतलब जैसे किसी राजा दरबार में हाजिरी लगाना।
बोले कि अगर किसी को 6 बजे के बाद उनका एक मिनट भी चाहिए, तो वो पहले सोच ले कि ये मुलाकात प्रधानमंत्री से मिलने जितनी जरूरी है या नहीं!
अब सोचो, अगर कोई जूनियर कर्मचारी रात को कोई अर्जेंट प्रॉब्लम लेकर आए, तो क्या करे? पहले सोचे कि ये मसला दुनिया बदलने वाला है या नहीं, फिर बॉस को डिस्टर्ब करे!
लगता है नरसिम्हन ने अपने ‘मी-टाइम’ को थोड़ा ज्यादा ही सीरियसली ले लिया। कंपनी को शायद लगा होगा कि इनका ‘वर्क मोड’ तो 6 बजे ही ‘स्लीप मोड’ में चला जाता है।
नरसिम्हन जी तो लाइफ के गुरु निकले।
नरसिम्हन जी तो लाइफ के गुरु निकले। 57 साल की उम्र में भी फैमिली टाइम का इतना ख्याल!
बोले, “भाई, 6 बजे के बाद तो मैं फैमिली मैन हूं। अगर कोई मुझे इस वक्त ऑफिस के काम से परेशान करता है, तो उसे सोच लेना चाहिए कि ये काम दुनिया बचाने जितना जरूरी है या नहीं!”
मतलब साफ है – शाम को अगर आप उनसे मिलना चाहते हो, तो या तो कोई बड़ा धमाका करो, या फिर अगले दिन तक इंतजार करो। वरना नरसिम्हन जी अपनी बीवी-बच्चों के साथ डिनर एंजॉय करेंगे।
लेकिन सोचो, एक मल्टी-बिलियन डॉलर कंपनी के बॉस होकर ऐसा स्ट्रिक्ट शेड्यूल! क्या ये वाकई में संभव है? या फिर नरसिम्हन जी ने अपनी इस फिलॉसफी से कंपनी के बड़े लोगों को नाराज कर दिया?
इंटरव्यू अब इंटरनेट पर आग की तरह फैल गया है।
नरसिम्हन जी का वो इंटरव्यू अब इंटरनेट पर आग की तरह फैल गया है। 7 जुलाई को दी गई उनकी बातें अब हर किसी की जुबान पर हैं।
सोशल मीडिया पर तो मानो तूफान आ गया है! लोग कह रहे हैं, “देखो भाई, इसी वजह से तो इनकी छुट्टी हो गई!” कई लोग तो ये भी बोल रहे हैं कि नरसिम्हन जी को उनके इस ‘6 बजे के बाद नो वर्क’ वाले रवैये की वजह से ही निकाल दिया गया।
अब सोचो, कितना मजेदार है ये सब! एक तरफ नरसिम्हन जी अपने वर्क-लाइफ बैलेंस की बात कर रहे थे, और दूसरी तरफ लोग कह रहे हैं कि इसी बैलेंस ने उनका बैलेंस बिगाड़ दिया।
Starbucks ने तो नरसिम्हन जी की जमकर तारीफ की है।
Starbucks ने तो नरसिम्हन जी की जमकर तारीफ की है। लगता है कंपनी को अब थोड़ा अफसोस हो रहा है कि उन्होंने इतने अच्छे बंदे को जाने दिया।
कंपनी ने कहा, “भाई वाह! नरसिम्हन जी ने तो कमाल कर दिया। जब तक वो थे, हमारी सप्लाई चेन में नए-नए आइडियाज आते रहे। और स्टोर्स की हालत तो एकदम चमका दी उन्होंने!”
मतलब साफ है – नरसिम्हन जी ने अपने छोटे से कार्यकाल में ही कंपनी के लिए काफी कुछ किया। लेकिन फिर भी उन्हें जाना पड़ा।
अब सवाल ये है – अगर नरसिम्हन इतने अच्छे थे, तो उन्हें क्यों जाना पड़ा? क्या उनका 6 बजे के बाद काम न करने का फैसला इतना बड़ा था कि बाकी सब अच्छाइयां भुला दी गईं?
बड़ी मैडम मेलोडी हॉब्सन ने तो नरसिम्हन जी की तारीफों के पुल बांध दिए।
Starbucks की बड़ी मैडम मेलोडी हॉब्सन ने तो नरसिम्हन जी की तारीफों के पुल बांध दिए।
उन्होंने कहा, “वाह! नरसिम्हन जी ने तो कमाल कर दिखाया। मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा, पर वे अडिग रहे। ग्राहकों और सहयोगियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में जुटे रहे।
और फिर आखिर में वो क्लासिक लाइन – “हम सब उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं देते हें। पक्का है, वो आगे भी धमाल मचाएंगे।”
अब ज़रा सोचो – ये तो वही बात हुई न, जब कोई ब्रेकअप के बाद बोलता है, “हम दोस्त रहेंगे”! क्या लगता है आपको – क्या ये सच में दिल से निकली बातें हैं या फिर सिर्फ दिखावा?
और ये “चुनौतीपूर्ण चुनौतियां” क्या थीं? क्या नरसिम्हन जी का 6 बजे के बाद काम न करना भी इन्हीं में से एक था?
हॉब्सन मैडम ने तो नरसिम्हन जी के लिए दिल खोलकर तारीफ की है।
हॉब्सन मैडम ने तो नरसिम्हन जी के लिए दिल खोलकर तारीफ की है।
बोलीं, “भाई, मैं पूरे बोर्ड की तरफ से कहना चाहती हूं – नरसिम्हन जी, आपने जो Starbucks के लिए किया, उसके लिए दिल से शुक्रिया। आप हमारे लोगों और ब्रांड के लिए जान लगा देते थे।”
अब ज़रा गौर करो – ये तो वही बात हुई न, जैसे किसी को विदाई पार्टी में बोला जाता है। सब कुछ अच्छा-अच्छा, कोई बुराई नहीं।
लेकिन सवाल तो यही है – अगर नरसिम्हन जी इतने अच्छे थे, तो उन्हें जाना क्यों पड़ा? क्या ये सिर्फ दिखावा है या सच में उनके काम की कदर की जा रही है?
और सोचो, अगर कोई इतना समर्पित था, तो उसे यूं अचानक बदलना क्यों पड़ा? क्या 6 बजे के बाद काम न करने वाली बात इतनी बड़ी थी कि बाकी सब अच्छाइयां भुला दी गईं?
Starbucks की हालत तो थोड़ी पतली है इन दिनों!
Starbucks की हालत तो थोड़ी पतली है इन दिनों!
देखो न, जब कंपनी मुसीबत में है, तब ये बड़े बॉस का तबादला हो गया। अभी तो Starbucks अपने बिजनेस को ठीक करने की कोशिश में लगी है। पैसे की किल्लत, सेल्स में गिरावट – मतलब पूरा खेल ही बिगड़ा हुआ है।
सोचो, ऐसे वक्त में नया कप्तान आया है। अब ये नया बंदा क्या करेगा? क्या वो Starbucks की नैया पार लगा पाएगा? या फिर डूबती हुई कश्ती में एक और सवार बस?
और ये भी सोचो – क्या नरसिम्हन जी को इसी वजह से हटाया गया? क्या कंपनी को लगा कि वो इस मुश्किल वक्त में कंपनी को नहीं संभाल पा रहे थे? या फिर ये सिर्फ एक इत्तेफाक है?
Starbucks को तो चीन से बड़ा झटका लगा है।
Starbucks को तो चीन से बड़ा झटका लगा है।
कंपनी बोल रही है, “यार, चीन में तो लोगों की जेब ढीली पड़ गई है। वहां के लोग अपनी प्यारी कॉफी पर पैसे खर्च करने से कतरा रहे हैं।”
और तो और, चीन का मार्केट भी बड़ा टेढ़ा हो गया है। मतलब वहां बिजनेस करना अब पहले जैसा आसान नहीं रहा।
सोचो, Starbucks जैसी बड़ी कंपनी को भी चीन में पसीने छूट रहे हैं। अब ये तो वही बात हुई न – “जब घी सीधी उंगली से न निकले, तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है।”
लेकिन क्या सच में सारी गलती चीन की है? या फिर Starbucks अपनी कमियों को छुपाने के लिए चीन को बलि का बकरा बना रही है?
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